Friendship Shayari

shayari-1

मैं बन जाऊँ कितना भी अच्छा
बेइज्जती करते वो हर बार थे
और कोई कुछ बोल दे पीठ पीछे
तो तोड़ने को तैयार थे .

shayari-1

सर दर्द होने पर गला दबाने की बात करते हैं
पढाई की बात करो तो बात बदल दिया करते हैं
रोता जो देखे तुम्हें तो तुरंत हंसा देते हैं
हर बन्दे के पास ऐसे ही कुछ खास दोस्त हुआ करते हैं

shayari-1

मैं चाँद हूँ तो तू सितारा क्यू है
मैं समुन्दर हूँ तो तू किनारा क्यू है
और मेरी माँ अक्सर पूछती है मुझसे
बेटा तू सरीफ है तो तेरे दोस्त अवारा क्यू हैं

shayari-1

ए दोस्त हर खुशी तेरी तरफ मोड़ दूँ
तेरे लिए चाँद तारे तोड़ दूँ
खुशियों के दरवाजे तेरे लिए खोल दूँ
इतना काफी है या दो चार झूठ और बोल दूँ

shayari-1

मुझे नहीं पता की कौन हैं वो लोग
जो मुझसे जलते हैं और वो क्या करते हैं
मगर इतना जनता हूँ की दुश्मन तो मेरे भी बहुत हैं
मगर मेरे दोस्तों से डरते हैं .

shayari-1

मेरे दोस्त सरकारी नौकरी की तरह हैं
कोई प्राइवेट जॉब नहीं की छोड़ दूँ
और एक शब्द और निकला मेरे दोस्त के खिलाफ तो
अपना मुँह संभालना कहीं मैं तुम्हारा मुँह ना तोड़ दूँ

shayari-1

दूर हो या पास दोस्ती भुलाई नहीं जाती
और जिस खुशी में दोस्त ना हों
वो ख़ुशी मनाई नहीं जाती

shayari-1

रौशनी के लिए दिया जलता है
शमा के लिए परवाना जलता है
कोई दोस्त न हो तो दिल जलता है
और दोस्त आप जैसा हो तो जमाना जलता है

shayari-1

कहीं अँधेरा तो कहीं शाम होगी
मेरी हर खुशी तेरे नाम होगी
कभी मांग कर तो देख हमसे ये दोस्त
होठों पर हंसी और हथेली पर जान होगी

shayari-1

तुमसे ज्यादा तो मेरे यार मुझे प्यार किया करते हैं
और सुन पगली गाली मत दे मेरे यारों को
तुमसे मिलने का इंतजाम भी मेरे यार किया करते हैं

shayari-1

लिखी गई हर एक दास्ताँ नजम नहीं होती
इस ज़माने में हर किसी को सच्ची मोहब्बत हजम नहीं होती
यूँ तो मिट जाती है हर एक चीज इस जहान में
ये तो मेरे यारों की यारी है जो ख़तम नहीं होती

shayari-1

मैंने रातों को गुजरते देखा है
मैंने वक्त को बदलते देखा है
और जब भी आती है मुसीबत मेरे सामने से
मैंने अपने दोस्तों को अपने से आगे चलते देखा है

मेरे यार मुझसे यारी होने का ग़म नहीं करेंगे,
शौक़ और बढ़ेंगे पुराने शौक़ कम नहीं करेंगे,
कमाएंगे तो पैसे उड़ाएंगे पुरे शौक से उन पर,
अमीरों वाली भिखारी हरक़ते हम नहीं करेंगे।

हर ग़लत चिज़ को नसीब कैसे मान लूं,
मैं ख़ुदको इतना बदनसीब कैसे मान लूं,
जो उसके साथ था, उसका दोस्त होगा,
बगैर जाने किसी को रकीब कैसे मान लूं।

किसी को खो दिया है पाना है किसीको,
ख़ुदा के घर से वापस लाना है किसीको,
जो लौट नहीं सकता उसे कैसे बुलाते है,
बताओं तो मुझको बुलाना है किसीको।

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