हमको अपनी इतनी आदत लगाई क्यों?
दूर जाना था तो इतना करीब आई क्यों?
जब शादी नहीं करनी तो मोहब्बत क्यों की?
जब खानी नहीं थी तो बिरयानी बनाई क्यों?
तकिए ख़राब किए कितने रूमाल ख़राब कर दिए,
रोरो के इश्क़ में हमने कितने साल ख़राब कर दिए,
जो भी आता ज़िन्दगी में कुछ ख़राब करने आता है,
उसने कि ज़िन्दगी,हजाम ने बाल ख़राब कर दिए।
एक उम्र के बाद सलामत नहीं रहेंगे,
कुछ हिस्से जिस्म के बराबर नहीं रहेंगे,
जवानी में ना करें ग़लती तो कब करें,
तब जब कुछ करने लायक नहीं रहेंगे।
ना मिलेंगे ग़ालिब ना ही जौन मिलेगा,
झुठे इस ज़माने में सच्चा कौन मिलेगा,
ये मेकअप का ज़माना है ज़रा ध्यान से,
एप्पल के नाम पे चाइना का फोन मिलेगा।
ज़रा ज़रा बातों पर लड़ना बंद करना चाहिए,
तुम्हें मुझको परेशान नहीं तंग करना चाहिए,
मैं भी तो तुम्हारी हर पसंद को पसंद करता हूं,
तुम्हें भी अपनी सौतन को पसंद करना चाहिए।
बड़े बड़े कमाल आसान लगते हो,
मकड़ी के जाल आसान लगते हो,
मुझको वही समझ सकता है जिसे,
गणित के सवाल आसान लगते हो।
हकदार बद्दुआ का दुआ लेकर जाता है,
अनजान भी सलाम कहकर जाता है,
हम फ़कीर है, हमारी हालत भी ऐसी है,
चोर घर में घुसे तो पैसे देकर जाता है।
उसका नाम,पता,रोल नंबर तक याद हो गया,
जो लड़का मजनू ना हुआ वो फरहाद हो गया,
उससे चक्कर में कोचिंग क्लास भी लगाई थी,
मोहब्बत में ना सही 12 वी में पास हो गया।